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धर्म कर्म: पूजा का विरोध करने वाला सनातनी नहीं: मनकामेश्वर गिरी

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28 सितंबर को ,भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन

हरिद्वार। पूजा का विरोध करने वाला सनातनी नहीं हो सकता है। आजकल हर पूजा का विरोध करने का फैशन हो गया है। एक ओर जहां लोग पूरे श्रद्धा -आस्था उल्लास एवं विश्वास के साथ पर्व और त्योहार मनाते हैं। वहीं चंद ऐसे भी लोग हैं जो हर पूजा का विरोध करने पर उतारू रहते है। ऐसे लोगों का काम हर धार्मिक आयोजनों का विरोध करना भर रह गया है। ऐसे लोगों को कांवड़ यात्रा, गणपति पूजन, विसर्जन, तिथि, पर्व, धार्मिक परंपराएं और मान्यताएं, दान -पूण्य, भोज भंडारा सहित आयोजनों में कमी नजर आती है और विरोध करना अपनी शान समझते हैं। उक्त विचार श्री बालाजी धाम, सिद्धबलि हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के स्वामी मनकामेश्वर गिरी महाराज ने गणपति महोत्सव के दौरान व्यक्त किए।
तीर्थनगरी हरिद्वार में चारों ओर गणपति महोत्सव की धूम मची हुई है। घर- घर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया जा रहा है। इस कड़ी में श्री बालाजी धाम सिद्धबलि हनुमान नर्मदेश्वर महादेव मंदिर निकट फूटबाॅल ग्राउंड, राज विहार कालोनी फेज-1, जगजीतपुर कनखल, हरिद्वार में गणपति महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है।‌ मंगलवार को
मुख्य यजमान राहुल शर्मा, अंकुर शुक्ला – श्वेता शुक्ला, एन के भटनागर – शालिनी भटनागर पूजन में शामिल हुए। पूजन कार्य विद्वान आचार्य पं सोहन चंद्र डोंढरियाल ने संपन्न कराया।‌ इस मौके पर मनकामेश्वर गिरी महाराज ने कहा कि भगवान की आराधना तर्क़ वितर्क से परे है। उन्हें ज्ञान की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। लेकिन दुःख की बात यह है कि वर्तमान में लोग स्वयं को बड़ा ज्ञानी मानते हुए हर पूजा पर टीका टिप्पणी करते हैं। जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि गुरुवार 28 सितंबर को भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन के साथ महोत्सव का समापन होगा।

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