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सेमिनार में आये अतिथियों ने उठाया गढ़भोज का लुत्फ,छात्र-छात्राओं के प्रयास की सराहना

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हरिद्वार (कमल मिश्रा)। एस.एम.जे.एन. पी.जी. कॉलेज में आज उत्तराखण्ड की औषधियों के गुणों से भरपूर फसलों से बनने वाले भोजनध्व्यंजन आदि के प्रचार-प्रसार हेतु गढ़भोज दिवस का आयोजन किया गया। कॉलेज प्रबन्ध समिति के सचिव श्री महन्त राम रतन गिरी जी महाराज, हरित ऋषि विजयपाल बघेल, उच्च शिक्षा के पूर्व निदेशक डॉ. एस.के. शर्मा, प्रसिद्ध पर्यावरणविद् प्रो. बी.डी. जोशी तथा महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने गढ़वाली व्यंजनों का आनन्द लिया एवं छात्र-छात्रा प्रतिभागियों का उत्सावर्धन किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद् प्रो.बी.डी.जोशी ने कहा कि एस.एम.जे.एन. कॉलेज ऐसा पहला महाविद्यालय है,जिसने छात्र-छात्राओं को गढ़भोज बनाने के लिए प्रेरित किया। पूर्व शिक्षा निदेशक डॉ. एस.के.शर्मा ने कहा कि ऐसी प्रतियोगिताओं के माध्यम से युवा पीढ़ी को पारम्परिक अनाज एवं मिलेट्स के विषय में जानकारी मिलती है,जो स्वास्थय के लिए लाभदायक होती है।हरित ऋषि विजय पाल बघेल ने कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि गढ़वाली भोजन द्वारा छात्र-छात्राओं ने पारम्परिक भोजन का साक्षत्कार कराया। प्रतिभागियों ने गढ़भोज प्रतियोगिता 39स्टॉलों में मंडुवे की रोटी,भांग व तिल की चटनी,झिंगौरे की खीर,कुँमाउनी थाली,बाल मिठाई,गहत की दाल,सिंगोडी आदि बनाकर प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता में कु. अंशिका,मानसी, प्रिया,पिंकी वर्मा,मुस्कान,शालू, शीतल,काजल,ईस्मिता,पूजा गौर,आंकाक्षी,विशाखा,शशि बिष्ट, गौरव बंसल,अंकिता जोशी,मनीष,रोहित शाह,वर्णिका,नेहा नेगी,कशिश,निकिता,डोली,विशाखा,खुशी, दिव्यांश नेगी,शालिनी आदि छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में निर्णायक मण्डल की अहम भूमिका का निवर्हन डॉ.पूर्णिमा सुन्दरियाल,डॉ.विनीता चौहान,डॉ.मोना शर्मा,डॉ.सरोज शर्मा एवं डॉ.रश्मि डोभाल किया किया गया।
साथ में फोटो नम्बर 10
चिन्मय महाविद्यालय में गढ़भोज दिवस पहाड़ी व्यजंन परोसा
हरिद्वार। चिन्मय डिग्री कॉलेज में उत्तराखंड राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धनसिंह रावत के निर्देशानुसार गढ़भोज दिवस कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय के सेमिनार हाल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ आलोक अग्रवाल एवं संचालन डॉ पीके शर्मा ने किया। इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ आनंद शंकर सिंह ने उत्तराखंड में उपजाए जाने वाली फसलों और जड़ी बूटियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और इनसे होने वाले लाभों के बारे में बताया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने अपने एक नारे में कहा था की मंडुआ, झंगोरा खाएंगे और उत्तराखंड को बनाएंगे। द्वारिका प्रसाद सेमवाल के अनुरोध पर ही प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में प्रत्येक वर्ष 7 अक्टूबर को गढभोज दिवस कार्यक्रम मानने का आदेश पारित किया है।डॉ आनंद शंकर ने स्टाफ एवं सभी छात्र छात्राओं को बताया की इन पहाड़ी फसलों को मोटे अनाज के तौर पर जाना जाता था और सभी गैर पर्वतीय इसको खाने में परहेज किया करते थे लेकिन आज के इस दौर में बढ़ती बीमारियों के कारण सभी डॉक्टर भी मोटे अनाज खाने कि सालाह दे रहे है। जो बड़े लोग पहले इस पहाड़ी फसल के व्यंजन को खाने में नापसंद करते थे आज वही व्यक्ति पहाड़ों से विशेष तौर पर मंगवा कर भोजन के पहाड़ी व्यंजनों का उपयोग कर रहे है।क्योंकि इन फसलों में यूरिया खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है केवल नेचुरल खादों का ही प्रयोग किया जाता है साथ ही वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है जिसके कारण ये सभी अनाज स्वास्थ्य वर्धक और रोगों से लड़ने में सहायक होते है। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ आलोक अग्रवाल ने कहा की प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश आगे बड़ रहा है उत्तराखंड की फसलों को उपजाने को लेकर बढ़ावा देने की एक अच्छी पहल है। उन्होंने कहा की गढ़भोज दिवस मनाने से पहाड़ी क्षेत्रों की जड़ी बूटियों वो फसलों की डिमांड देश विदेश में भी बड़ेगी। कार्यक्रम के समापन पर महाविद्यालय के एसएफएस डायरेक्टर डॉ वैष्णो दास ने सभा में आए सभी स्टाफ गणों एवं छात्र छात्राओं को मिशन प्लेज करवाकर सभी का धन्यवाद प्रेषित के साथ साथ अपने दैनिक जीवन में मोटे अनाज के उपयोग को लेने की सलाह दी।कार्यक्रम में मुख्य रूप से भानु प्रकाश गुप्ता,डॉ ओम कांत,डॉ.अंकुर,डॉ राकेश चतुर्वेदी, विक्रम नेगी,डॉ राजीव सक्सेना,संतोष कुमार, हिमांशु,कमल मिश्रा राकेश गुप्ता,कार्तिक सैनी छात्रसंघ अध्यक्ष,छात्र नेता शैलेश त्रिपाठी एवं समस्त छात्र छात्रा मौजूद रहे।

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